Mussoorie Hills
Mussoorie Hill-Queen of Hills Tour मसूरी भारत उत्तराखण्ड राज्य का एक पर्वतीय नगर है, जिसे Mussoorie Hill या queen of hills यानी पर्वतों की रानी भी कहा जाता है। देहरादून से 35 km की दूरी पर स्थित, Mussoorie Hill उन स्थानों में से एक है जहां लोग बार-बार आते जाते हैं। घूमने वाली प्रमुख जगहों में यह एक है। Mussoorie hill station यात्रा
1. मसूरी आने वाले पर्यटक ट्रेकिंग, कैंपिंग और प्रकृति की सैर जैसी कई गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं।
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Best Camping Sites in Mussoorie |
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Kempty Falls |
3.इतिहास और संस्कृति वालों के लिए मसूरी में कई दिलचस्प स्थल बालेश्वर का प्राचीन मंदिर गांव में स्थित है और माना जाता है कि इसे 8वीं शताब्दी में बनाया गया था। मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और हिंदुओं के लिए एक लोकप्रिय तीर्थ स्थल है। मंदिर परिसर में कई छोटे मंदिर और एक तालाब भी है, जो इसे शांतिपूर्ण सैर के लिए एक आदर्श स्थान बनाता है।
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Baleshwar temple |

ऐतिहासिक महत्त्व उत्तराखण्ड के गढ़वाल मण्डल के पहाड़ी कस्बे मसूरी को पहाड़ों की राजधानी भी कहा जाता है। मसूरी उत्तराखण्ड का सबसे ज्यादा लोकप्रिय पर्यटन स्थल है, यहां हर साल सबसे ज्यादा सैलानी आय करते हैं। राजधानी देहरादून से मसूरी की दूरी 35 किमी है।यह समुद्र तल से 6500 फीट की ऊंचाई पर बसा साल भर ठंडा रहने वाला पहाड़ी क़स्बा है।यहां बड़े पैमाने पर उगने वाला मंसूर के पौधे के कारण इसे पहले मंसूरी फिर मसूरी कहा जाने लगा ।।
अंग्रेज प्रशासनिक अफसर एफ.जे. शोर यहां पहुंचे उनके दोस्त साहसिक मिलट्री अधिकारी कैप्टन यंग भी साथ थे। वे पर्वतारोहण करते हुए इस जगह पहुंचे जहां से दून घाटी का मनोरम दृश्य दिखाई देता था। इस जगह के प्राकृतिक सौन्दर्य से मोहित होकर उन्होंने कैमल बैक की ढलान पर शिकार के लिए एक मचान बनाने का फैसला किया। इसके कुछ समय बाद यहां अंग्रेजों ने पहला भवन बनाया। 1828 में लंढौर बाजार की बुनियाद रखी गई। 1829 में मि. लॉरेंस ने लंढौर बाजार में यहां पर पहली दुकान खोली, जिस जगह पर यह दुकान खोली गई वहां पर मसूरी का मुख्य डाकखाना है,जो अंग्रेजों द्वार बसाए गए । अन्य पहाड़ी नगरों की तरह ही इसका मुख्य हिस्सा भी माल कहलाता है। पहले यह माल रोड पिक्चर पैलेस से पब्लिक लाइब्रेरी तक हुआ करता था. ब्रिटिश भारत की माल रोड में भी भारतीय और कुत्तों को प्रवेश की अनुमति नहीं का बोर्ड लगा रहता था। 1832 में तिब्बत की पहली निर्वासित सरकार भी मसूरी में ही बनायी गयी थी जिसे बाद में Himachal Pradesh स्थानांतरित कर दिया गया.आज मसूरी एक पर्यटन स्थल के तौर पर पूरी दुनिया में जाना जाता है. कुलड़ी बाजार,लंढौर बाजार लाइब्रेरी बाजार यहां के प्रमुख बाजार हैं। भारत सरकार के सर्वेयर सर जार्ज एवरेस्ट ने यहां trigonometrical सर्वे का दफ्तर बनाया गया। 1890 में हरिद्वार देहरादून रेलमार्ग का निर्माण हुआ. इसके बाद मसूरी की लोकप्रियता बढ़ती गई। 1901 में यहां 4471 की कुल आबादी का 78 फीसदी ब्रिटिश हुआ करते थे.1926-31 के बीच मसूरी तक पक्की सड़क पहुंचा दी गई। इसके बाद यहां तेजी से बस्तियां बढ़ने लगी। आजाद भारत में,1959 में राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी की स्थापना यहां पर की गयी। 1970 में लाइब्रेरी बाजार से गहनील तक रोपवे का निर्माण किया गया। मध्ययुगीन काल में,मसूरी पर राजपूतों और मुगलों सहित विभिन्न राजवंशों का शासन था। इस समय के दौरान,क्षेत्र में रहने वाले कई कारीगरों,व्यापारियों और विद्वानों के साथ,यह क्षेत्र सांस्कृतिक और आर्थिक गतिविधियों का केंद्र था। यह गांव अपने जीवंत बाजारों के लिए भी जाना जाता था,जहां स्थानीय हस्तशिल्प और सामान का व्यापार होता था। 19वीं और 20वीं सदी की शुरुआत में,ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार ने इस क्षेत्र पर नियंत्रण कर लिया और मसूरी ब्रिटिश प्रशासन का केंद्र बन गया। इस अवधि के दौरान आधुनिक सड़कों, स्कूलों और अस्पतालों के निर्माण के साथ गांव ने महत्वपूर्ण विकास देखा। 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, गाँव उत्तराखंड के नवगठित राज्य का एक हिस्सा बन गया। तब से, एक बढ़ते पर्यटन उद्योग और एक जीवंत स्थानीय संस्कृति के साथ, गाँव लगातार फलता-फूलता रहा है। आधुनिकीकरण और शहरीकरण से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद, मसूरी अपनी अनूठी विरासत और पारंपरिक आकर्षण को बनाए रखने में कामयाब रही है, जिससे यह इतिहास और संस्कृति में रुचि रखने वाले आगंतुकों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बन गया है। अंत में,मसूरी का इतिहास धर्म,संस्कृति और राजनीति का एक समृद्ध और विविध संगम है। हिंदू आध्यात्मिकता के केंद्र के रूप में इसकी प्राचीन उत्पत्ति से लेकर, औपनिवेशिक प्रशासन और आधुनिक विकास के केंद्र के रूप में इसकी भूमिका तक, गांव ने उत्तराखंड और पूरे भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
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